
दशहरा: एक परिचय जिसे हम सब को जानना चाहिए।

दशहरा: एक परिचय जिसे हम सब को जानना चाहिए।
भारत एक संस्कृति और भगवानो को मानने वाला देश है। भारत में से कही महापुरुष, देव का वर्णन है जिसे हम एक त्योहार के रूप में मनाते है। उन्ही महापुरुषों में एक है अपने प्रभु राम जी। आप इस विजयदशमी भी कहते है और दशहरा भी। यह तो आप सब जानते है की दशहरा , बुराई पर जीत का प्रतिक है। इस दिन राम ने रावण को परलोक भेजा था , उसके उपरांत कई सालो बाद इसी दिन अर्जुन ने दिव्य वस्त्रों की प्राप्ति की थी।
पर क्या हम सामाजिक दृष्टिकोण से इस पर्व को देखे तो हम रावण से भी बुरे हैं और राम के नज़दीक भी नहीं है। हम सब के अंदर कलयुग विराजमान है और अपने अंदर बस स्वार्थ , पाप , लालच और जाने कितने पाप लेके बैठे है। आज मेरा निबंध आज आपको न सिर्फ आपको दशहरा के बारे में बताएगा बल्कि आपको बताएगा राम के तरह आप भी अच्छे व्यक्ति कैसे बन सकते हैं। आइये लेख की शुरुवात करते है।
दशहरा का धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व
धर्म से आप क्या समझते है ? एक मुस्लिम या हिन्दू ? धर्म का वास्तविक अर्थ अच्छे कर्म करना होता है। समाज की सेवा , सत्य से प्रेम और प्रभु का ध्यान ही धर्म है। अपने काम में स्वछता रखना एवं समाज में योगदान ही आपको एक श्रेष्ठ धार्मिक व्यक्ति बनाता है।
दशहरा का पर्व हमेशा अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। आज के दिन ही राम जी ने लंका पर आक्रमण करके रावण का वध किया था। साथ ही अपनी प्रिये सीता माँ को वापस लेकर एक पति का धर्म भी निभाया था। पर आज के पीढ़ी ने क्या निष्कर्ष निकाला ? यही की राम जी ने अग्निपरीक्षा क्यों ली ? सीता माँ का असली रूप क्या था ? आज कल हम उस धर्म पे सवाल उठाते है जो एक उधारण है एक अच्छे जीवन का , धर्म की राह पे चलने की।
हम रावण को बस दशहरा के दिन मारते हैं और खुद रावण से भी ज्यादा बुरी ज़िन्दगी व्यतीत करते हैं। धन की लालच , स्वार्थ , और न जाने कितने गहन पाप करते हैं। क्या स्वच्छ कपड़े से प्रभुता मिलती है , अगर मिलती तो कृष्ण को सुदामा और राम को शबरी नहीं मिलती। बात करे तो दशहरा कही पे रामलीला का मंचन करके बनाया जाता है तो कहीं दुर्गा पूजा के समाप्ति के रूप में मनाते हैं। ज्यादातर भारत के पश्चिमी हिस्सों में इसे नवरात्रि के समापन देखते हैं और वहीँ पूर्वी हिस्सों में दुर्गा पूजा का आखिरी दिन मानते हैं। ऐसे विभिन्ता सिर्फ भारत में ही मिलती है , जो हर रूप में अच्छाई को बुराई से बड़ा दिखाती है।
राम और रावण ! जाने यह दोनों कौन थे ?
दशहरे का असली मतलब तब समझ में आता है जब हम राम और रावण के चरित्रों को गहराई से समझते हैं। कोई कहते है राम महान थे तो कोई रावण। किसी के लिए कोई भी महान हो सकता है , लेकिन जीवन के मूल्य और उद्देश्यों में बहुत अंतर होता है।
क्यों भगवान राम प्रचिलित हुए ?
कहते है राम ही सत्य है , राम ही धर्म है। वह एक आदर्श पुत्र , भाई , पति सब थे। चाहे वह पिता के आज्ञा से वनवास जाना , माँ सीता के वियोग में रावण से युद्ध करना और वापस माँ को लौट के अयोध्या जाना। उनका व्यक्तित्व ऐसा था जिन्होंने वापस आते ही सबसे पहले कैकयी माँ का आशीर्वाद लिया। उन्होंने अपने शौर्य और धर्म पालन से अपने आप को एक योग्य क्षत्रिय के साथ एक राजा भी साबित किया।
आज की बात करे तो सिर्फ युवको ने नाम राम है और युवतिओं के सीता। पर इनमे नाम का भी मोल नहीं रखा। आजकल पुत्र पिता की आज्ञा अपनी अवेलना समझते हैं , पतिधर्म , माँ -बाप की सेवा एक बोझ समझते हैं। आपने रामायण तो पढ़ा पर शायद आपने राम को नहीं पढ़ा। राम सुन्दर , बलिष्ठ, निष्ठा , त्याग के लिए जाने जाते थे। वह स्वार्थ से उठकर समाज और कर्तव्य को आगे रखा। उनके लिए अपनी पत्नी तक को उन्होंने अग्निपरीक्षा करवाया। हालाँकि इसपर जो विवाद कर रहे , उनको वास्तव से कोई परिचय नहीं है। उनके तेज को देख के झूठ भी सच बोलता था , ऐसा तो उनका राम राज्य होता था।
रावण की महानता और उसके पतन का कारण
रावण , जिसने बताया की शिवभक्ति क्या होती है , बहन के अपमान का बदला कैसे लेते हैं ( हालाँकि गलत है , पर उसने भाई का धर्म जरूर निभाया ) , युद्धकला , हर चीज़ में माहिर था। चारो वेदो का ज्ञाता , सब ग्रहों को वश करने वाला , इंद्रजीत , अक्षय जैसे वीरो का पिता था वह। उसके भाई भी उसके लिए जान देने को तत्पर रहते थे।
रावण को हम अच्छे इंसान की श्रेणी में नहीं रख सकते , क्यूंकि वह असुर'था। पर आज हमारे अंदर असुर ही बसे हैं। सोने की लंका बना कर रावण ने दैत्ये जाती को एक सर्वोच्च स्थान दिलाया , उनको अच्छे से रहने के तरीके सिखाएं। उसके लंका में असुर विद्या'ग्रहण करते थे। राम ने जब रावण का वध किया था तब राम जी ने लक्ष्मण को रावण से अच्छी बातें सीखने को बोला था। हम रावण को जलाते हैं , पर क्या हम राम है ? जवाब है नहीं , क्यूंकि रावण और राम के कुछ पथ थे , और हम तो पथहीन है , इंसान जो कमजोर हैं।
रावण अहंकारी , अधर्मी था यह हमे पता है , पर वह एक न्याहप्रिये राजा भी था। उसकी गलती थी साधु के वेश में सीता का अपहरण किया और इसलिए शिव जी रावण के रक्षा को नहीं आए। उनका कहना था रावण ने साधु के वेशभूषा में एक अत्यंत घिनोना काम किया जिससे समस्त साधु जाती का अपमान हुआ। अब न कोई साधु पे विश्वास करेगा न ही भिक्षा देगा। सब ने समझाया पर रावण अपने ही शक्ति में चुड़ , सब गँवा दिया और अंत में उसकी मौत हो गयी। तो यह था रावण , पर हम तो न राम बन सके न ही रावण।
अब तक हम जान चुके है दशहरा के बारे में , राम रावण के बारे में , अब जंगे आधुनिक भारत में राम , अर्वन का महत्व और क्या विचार है इस भारत में।
आधुनिक भारत में रावण की पहचान और गलतफहमियां:
समकालीन भारत में रावण के व्यक्तित्व को एक अजीब और सूक्ष्म दृष्टिकोण से देखा जाता है। बहुत से लोग रावण को केवल एक दुष्ट राजा के रूप में ही देखते हैं, जिसने अधर्म का मार्ग अपनाया और अंततः अपनी मृत्यु को प्राप्त हुआ। हालाँकि, अपने प्रशंसनीय गुणों और गंभीर कमियों के संयोजन के कारण, रावण वास्तव में एक बहुमुखी व्यक्ति और अपने युग का एक विलक्षण प्रतीक था। जबकि समकालीन समाज में रावण को "खलनायक" के रूप में चित्रित करना सरल है, उसकी विद्वता, गुण और प्रभुत्व को कभी-कभी अनदेखा कर दिया जाता है। भले ही रावण एक अद्भुत राजा, योद्धा और विद्वान था, लेकिन उसे आज के बच्चों को मुख्य रूप से नकारात्मक रूप में दिखाया जाता है। वर्तमान पीढ़ी रावण की अपने धर्म के प्रति भक्ति से अनजान है, लेकिन वे अधर्म के प्रति उसकी प्रवृत्ति और उसकी अहंकारी प्रवृत्तियों से अवगत हैं।
समकालीन समाज के लिए दशहरा के मूल्य और संदेश
दशहरा उत्सव से मुख्य सीख यह है कि बुराई निस्संदेह समाप्त हो जाएगी। दशहरा का त्यौहार हमें याद दिलाता है कि नैतिकता, धर्म और सत्य की हमेशा जीत होगी, चाहे समाज में हिंसा और अन्याय व्याप्त हो या राम और रावण की कहानी।
दशहरा के सबक और आदर्श आज की दुनिया में बहुत प्रासंगिक हैं, जब बलात्कार, अपराध और नैतिक पतन अपने चरम पर हैं। विशेष रूप से महिलाओं के खिलाफ अपराध और बलात्कार की व्यापकता को देखते हुए, हमें समाज में न्याय और नैतिकता को बहाल करने की आवश्यकता को पहचानना चाहिए।
आधुनिक युग का अपराध और दशहरा संदेश
आज की संस्कृति में अपराध और यौन उत्पीड़न प्रमुख मुद्दे बन गए हैं। महिलाएं अक्सर असुरक्षा का अनुभव करती हैं, और उनके खिलाफ किए गए अपराध दर्शाते हैं कि समाज कितना नैतिक रूप से भ्रष्ट हो गया है। दशहरा के पाठ से हम सीखते हैं कि बुराई और अन्याय का मुकाबला करना मानवता की जिम्मेदारी है। जिस तरह राम ने रावण को हराया था, उसी तरह हमें समाज में व्याप्त बुराइयों का विरोध करना चाहिए।
दशहरा का संदेश और महिलाओं की सुरक्षा
आधुनिक काल में महिलाओं की सुरक्षा एक बड़ी चिंता बन गई है। महिलाओं के खिलाफ बलात्कार और अन्य अपराध नैतिक और सामाजिक पतन के प्रतीक हैं। दशहरा की सीख के अनुसार हमें बुराई का विरोध करना चाहिए। हमें समाज में आम हो रहे अपराधों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए, जैसे राम ने रावण का वध किया था।
दशहरा उत्सव की सीख यह है कि नैतिक और धार्मिक सिद्धांतों को समाज की नींव बनाना चाहिए। दशहरा की सीख यह याद दिलाती है कि भौतिकवाद और स्वार्थ के राज में न्याय, धर्म और सत्य की हमेशा जीत होती है।
दशहरा से क्या सीखे :
दशहरा आज के युग में हमें कई महत्वपूर्ण जीवन के सबक सिखाता है, जो आधुनिक समाज में भी अत्यधिक प्रासंगिक हैं। यहां कुछ प्रमुख बातें दी गई हैं:
- सत्य की जीत:दशहरा रावण पर भगवान राम की विजय का प्रतीक है। यह संदेश देता है कि चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ आएं, अंततः सत्य की ही जीत होती है।व्याख्या: यह हमें जीवन में हमेशा सच्चाई और ईमानदारी के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है, चाहे अस्थायी रूप से कठिनाइयाँ ही क्यों न हों।
- अहंकार का नाश:रावण के अहंकार ने उसे विनाश की ओर ले जाया। दशहरा यह सिखाता है कि घमंड और अहंकार से हमेशा दूर रहना चाहिए।व्याख्या: आज के युग में सफलता मिलते ही लोग अक्सर अहंकारी हो जाते हैं, लेकिन यह सिखाता है कि विनम्रता और संयम ही दीर्घकालिक सफलता का मार्ग है।
- धैर्य और संयम का महत्व:भगवान राम ने अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए धैर्य और संयम का पालन किया। यह बताता है कि किसी भी चुनौती का सामना धैर्यपूर्वक करना चाहिए।व्याख्या: आधुनिक जीवन में हमें तनाव और प्रतिस्पर्धा का सामना करते हुए धैर्य और संयम रखना सीखना चाहिए।
- सकारात्मकता और उम्मीद:राम ने कठिन परिस्थितियों के बावजूद कभी भी हार नहीं मानी। दशहरा हमें बताता है कि जीवन में आशावान रहना चाहिए और हर मुश्किल का समाधान संभव है।व्याख्या: आज के व्यस्त जीवन में, जब समस्याएं और असफलताएं आती हैं, तो सकारात्मक सोच और प्रयास से हम सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
- बुराई पर अच्छाई की जीत:रावण बुराई का प्रतीक था और भगवान राम अच्छाई के। दशहरा यह संदेश देता है कि समाज में अच्छाई हमेशा बुराई पर विजय प्राप्त करती है।व्याख्या: यह हमें प्रेरित करता है कि हमें अपने जीवन में नैतिकता, सत्यता, और अच्छाई का पालन करना चाहिए, चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन हों।
- संघर्ष और परिश्रम का महत्व:भगवान राम ने कठिन संघर्ष के बाद रावण पर विजय प्राप्त की। यह हमें सिखाता है कि बिना संघर्ष और परिश्रम के जीवन में कोई सफलता संभव नहीं।व्याख्या: आज के युग में, जब लोग त्वरित सफलता की खोज में होते हैं, यह त्योहार हमें धैर्य और निरंतर परिश्रम की महत्ता का बोध कराता है।
दशहरा आज के समय में नैतिकता, धैर्य, सच्चाई और संघर्ष की शक्ति का प्रतीक है।
धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव होने के अलावा, दशहरा एक सामाजिक संदेश भी देता है। राम और रावण की कहानी से हमें जो सीख मिलती है, उसे समझना और उसका पालन करना बहुत ज़रूरी है: उत्कृष्टता और पतन के बीच एक बहुत ही पतली रेखा होती है। दशहरा का संदेश समकालीन संस्कृति में समाहित होना चाहिए, जो नैतिकता और नैतिक सिद्धांतों से दूर होती जा रही है।